लेख इयर कविता प्रतियोगिता- 1) प्रकृति
कविता का शीर्षक- प्रकृति
प्रकृति तेरे अंदाज़ है निराले,
कहीं समंदर, कहीं झरने ,
कहीं तपता रेगिस्तान ,कहीं जंगल विशाल।
तू अपनी मौजूदगी का एहसास ,
हर लम्हा करवाती है ।
एक माँ की भांति निःस्वार्थ,
हम पर प्रेम लुटाती है।
पर हम ठहरे मनुष्य
स्वार्थ से भरे हुए,
अपनी जरूरतों के लिए,
तुझे नुकसान पहुंचाते हैं।
काटकर जंगल, उजाड़कर पक्षी- पशुओं का घर
हम अपने घर बनाते हैं।
कंक्रीट के बढ़ते जंगल को
विकास का नाम देकर,
हम अपनी उपलब्धि पर मन ही मन मुस्कुराते हैं।
माना माँ में असीम सहनशक्ति है,
लेकिन अन्याय सहने की भी एक सीमा है।
रौद्र रूप जब धारण करती है प्रकृति
तब हम मन ही मन पछताते हैं।
अभी भी वक़्त है सम्भल जाओ,
प्रकृति पर नहीं, खुद पर तरस खाओ,
जीवन चाहते हो अगर अपना सुरक्षित,
तो प्रकृति को चोट मत पहुंचाओ।
❤सोनिया जाधव
#लेख इयर कविता पर
Shama singhal
11-Feb-2022 11:27 AM
अति उत्तम 👌
Reply
Seema Priyadarshini sahay
10-Feb-2022 05:30 PM
बहुत खूबसूरत
Reply
Astha Singhal
10-Feb-2022 03:32 PM
Very nice
Reply